बुधवार, 17 अप्रैल 2019

हम आदिवासी

ग्लैडसन डुंगडुंग










हम आदिवासी
भारत के हैं
प्रथम निवासी
प्रकृति के साथ
जीते हैं हम
सहजीवन की बगिया
है जंगल हमारा
सामूहिकता है
हमारे जीवन का आधार
न नामदार है
न है कोई गुमनाम यहां
समानता बसा है
रगरग में हमारा
सबको करते मान-सम्मान
न लड़का-लड़की में है विभेद
न मादा भ्रूण हत्या होता
न ही मारी जाती कोई महिला
दहेज के लिए यहां
गजब का अर्थव्यवस्था है हमारा
प्रकृति से हम उतना ही लेते
जितना जरूरत है हमारा
न पूंजी है
न है पूंजीपति यहां
अद्भूत है संस्कृति हमारा
हम सब मिलकर नाचते-गाते
न नायक-नायिका है
न है कोई दर्शक यहां
एक घाट पर
पीते पानी
न सभ्य है
न है कोई जंगली यहां
मिलकर उगाते
खेतों में अनाज
न अमीर है
न है कोई गरीब यहां
सामूदाय में रहते हैं हम
सबसे करते मेल-मिलाप
न उंच-नीच है
न काला-गोरा
न है कोई जात-पात का भेद यहां
अखड़ा में सीखते हम
जीवन जीने की कला
न परीक्षा है
न है कोई प्रतिस्पर्धा यहां
न्याय है
जीवन मूल्य हमारा
मिलकर देते सबको न्याय
न वकील है
न है कोई जज यहां
लोकतंत्र है
खून में हमारा
चुनते मिलकर नेता अपना
न होता है वोट
न है कोई नोट की मांग यहां
हम आदिवासी
भारत के हैं
प्रथम निवासी

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