शनिवार, 22 जुलाई 2017

आदिवासियों की चिंता क्यों है तुम्हें?



- ग्लैडसन डुंगडुंग -
















आदिवासियों की चिंता क्यों करते हो तुम?
क्या उनकी पहचान, भाषा और संस्कृति से प्यार है तुम्हें?
बाजार में नहीं बिक रही जमीन उनकी
यह बात तुम्हें क्यों सताती है दिन-रात?
क्या उन्हें समृद्ध बनाना चाहते हो तुम?
उनकी गरीबी क्यों दिखती है तुम्हें?
क्या उनका खजाना भरना चाहते हो तुम?
उनका टूटा घर क्यों दिखता है तुम्हें?
क्या उनके लिये महल बनाना चाहते हो तुम?
ब्लाडर जैसे पेट लिये बच्चे क्यों दिखाई पड़ते हैं तुम्हें?
क्या उनका कुपोषण दूर करना चाहते हो तुम?
आदिवासी महिलाओं के बदन का
फटा कपड़ा क्यों दिखता है तुम्हें?
क्या नये कपड़े उन्हें पहनाना चाहते हो तुम?
धर्मांतरण-धर्मांतरण क्यों चिल्लाते हो तुम?
क्या उनके धर्म की रक्षा करनी है तुम्हें?
उनका हरा जंगल लाल क्यों दिखाई देता है तुम्हें?
क्या शांति, विकास और सुशासन लाना चाहते हो तुम वहां?
विकास का पाठ उन्हें क्यों पढ़ाते हो तुम?
उनका विकास करने का इरादा है क्या?
उन्हें बेवकूफ मत समझना तुम
कुदृष्टि को जानते हैं वे
तुम्हारे आंखों की
लालसा को पहचानते हैं वे
तुम्हारे मन की
फरेबी से परिचित हैं वे
तुम्हारे दिमाग की
सिर्फ बेवसी, लाचारी और पिछड़ेपन
दिखाई देता है तुम्हें उनकी
क्योंकि गटकना चाहते हो तुम
सरकारी खजाने को
उनके विकास और कल्याण के नाम पर
मिटटी में मिलाना चाहते हो तुम
आदिवासियत को
उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के नाम पर
बलात्कार करना चाहते हो तुम
आदिवासी महिलाओं का
उन्हें नक्सली का जामा पहनाकर
तोड़ना चाहते हो तुम
उनकी एकता को
सरना-ईसाई के नाम पर
उन्हें आपस में लड़ाकर
खाली कराना चाहते हो तुम
उनके इलाके को
माओवाद उन्मूल के नाम पर
हड़पना चाहते हो तुम
उनकी जमीन, जंगल, पहाड़, जलस्रोत और खनिज
विकास, आर्थिक तरक्की और राष्ट्रहित के नाम पर

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