मंगलवार, 26 सितंबर 2017

क्यों खेला जा रहा है धर्मांतरण का झूठा खेल?

ग्लैडसन डुंगडुंग

सितंबर का महीना होने के बावजूद काफी गर्मी थी। दोपहर में सूर्य आग उगल रहा था। लोग पेड़ों की छांव में गर्मी से बचने की कोशिश कर रहे थे। झारखंड के सिमडेगा जिलान्तर्गत टुकूपानी बांसटोली निवासी 29 वर्षीय बिकरू मांझी एवं उनकी पत्नी 21 वर्षीय नीतु देवी भी आम पेड़ के नीचे पीढ़ा पर बैठकर लोगों को अपना दुःखड़ा सुना रहे थे। इन दिनों झारखंड में चल रहे धर्म की राजनीति में उनका जीवनच्रक ठहर सा गया है। उनका भविष्य अंधकरमय हो गया है। वे उस चक्रव्यू से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। वे गोड़ आदिवासी समुदाय से आते हैं। बिकरू ट्रैक्टर चलाता है उसी से उनकी आजीविका चलती है। लेकिन नीतु के हमेशा बीमार रहने से घर में परेशानी थी। उन्होंने डाक्टर से इलाज करवाया और ओझा-गुणी से झाड़-फूंक भी। लेकिन नीतु की बीमारी ठीक नहीं हुई। वे दोनों बहुत परेशान थे इसलिए उन्होंने मिलकर निर्णय लिया कि वे लोग चंगाई सभा वालों को बुलाकर अपने घर में प्रार्थना करवायेंगे। उन्होंने इसके लिए चंगाई सभा वालों से सम्पर्क कर तिथि निर्धारित की। 

15 सितंबर 2017 को रात में लगभग 8 बजे बिकरू के घर में प्रार्थना सभा शुरू हुई, जिसमें साजन मांझी, कलिन्द्र मांझी, दशरथ केरकेट्टा, जेम्स बाः, जगदीश मांझी एवं बलमुनी कुमारी मिलकर प्रार्थना कर रहे थे। ये लोग कोई ईसाई धर्मगुरू नहीं हैं बल्कि आम ग्रामीण है, जो लोगों के लिए विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं। जब इसकी भनक भाजपा और आर.एस.एस. के कैडरों को लगा तो उन्होंने ग्रामीणों को इकट्ठा कर बिकरू मांझी के घर को घेर लिया। उसके बाद दरवाजा खोलवाकर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां धर्मपरिवर्तन का काम चल रहा है। इन लोगों ने प्रार्थना करनेवालों के साथ मारपीट और गाली-गलौज की। इसी बीच ठेठाईटांगर थाना की पुलिस वहां पहुंची और साजन मांझी, कलिन्द्र मांझी, दशरथ केरकेट्टा, जेम्स बाः, जगदीश मांझी एवं बलमुनी कुमारी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के वहां से जाने के बाद इन लोगों ने बिकरू एवं नीतु से कहा कि वे लिखकर दें कि उनका धर्मपरिर्वतन किया जा रहा था। लेकिन उन्होंने कहा कि वे अपना धर्म नहीं बदल रहे हैं बल्कि वे बीमारी से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करवा रहे थे और यह उनका मौलिक अधिकार है। इसलिए लिखकर देने की कोई जरूरत ही नहीं है। 

यहां जब बात नहीं बनी तो भाजपा व संघ परिवार के कैडरों ने अगले दिन गांव में ग्रामसभा का आयोजन किया, जिसमें इस घटना के बारे में चर्चा की गई तथा थाना में मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद ग्रामसभा के अध्यक्ष जगरनाथ कालो जो भाजपा व संघ परिवार के स्थानीय कैडर हैं, ने ठेठाईटांगर थाना के थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्ज करने हेतु ग्रामसभा की ओर से लिखित आवदेन देते हुए आरोप लगाया कि ये छः लोग गांव में धर्मपरिर्वतन का काम कर रहे थे और धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। इसी आवेदन के आधार पर ठेठाईटांटर थाना के थाना प्रभारी ने गिरफतार किये गये व्यक्तियों के खिलाफ कांड सं. 46/17 में भारतीय दंड विधान की धारा 153ए, 295ए एवं 34 का आरोपी बनाकर मुकदमा दर्ज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया। इस घटना से संबंधित खबरे स्थानीय अखबारों में बढ़ा-चढ़ाकर छापा गया और इसी झूठी कहानी को आधार बनाकर भाजपा व संघ परिवार से जुड़े नेताओं ने धर्मांतरण को लेकर एक बार फिर से राज्यभर में हल्ला बोला।  

16 सितंबर 2017 को बिखरू एवं नीतू ने भी ठेठाईटांगर थाना के थाना प्रभारी को उनके घर में हुए मारपीट से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आवेदन दिया लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। इसके बाद उन्होंने आरक्षी अधीक्षक, सिमडेगा के यहां आवेदन दिया। परंतु इस संबंध में अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बिखरू एवं नीतू ने निचली अदालत में शपथ-पत्र भी दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उन्होंने न अपना धर्म बदला है और न ही किसी ने उन्हें धर्म बदलने के लिए किसी तरह का दबाव दिया है। बावजूद इसके निचली अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया। बिकरू एवं नीतू ने इन लोगों के डर से घर छोड़ दिया है। नीतू कहती है कि ये लोग शराब पीकर आते है इसलिए हमें डर है कि कहीं रात में हमारे उपर हमला न कर दें। अब ये दोनों कहीं और बसने की सोच रहे हैं। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा दुःख इस बात का है कि जो लोग उनके दुःखों को दूर करने के लिए प्रार्थना कर रहे थे वे बेवजह जेल में हैं जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 एवं 26 में धार्मिक आजादी प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।  

इस घटना के बाद भाजपा के स्थानीय विधायक बिमला प्रधान, पूर्व विधायक निर्मल बेसरा एवं भाजपा व आर.एस.एस. के कैडर गांव में सभा एवं कैंप करते रहे और स्थानीय अखबारों में धर्मांतरण के खिलाफ लगातार बोलते रहे हैं। इसलिए यहां कई गंभीर प्रश्न उठते हैं। जब बिकरू एवं नीतू ने धर्मांतरण को लेकर थाना में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया तो उनके घर में प्रार्थना करने वालों को जेल क्यों भेजा गया? रात में पुलिस अचानक बांसटोली कैसे पहुंची थी? भाजपा के स्थानीय विधायक बिमला प्रधान, पूर्व विधायक निर्मल बेसरा एवं भाजपा तथा आर.एस.एस. के कैडरों को धर्मांतरण का झूठा आरोप का सहारा क्यों लेना पड़ रहा है? ठेठाईटांगर के थाना प्रभारी ने एक पक्षीय कार्रवाई क्यों की? फर्जी मामले में आरोपियों को जमानत क्यों नहीं मिली? क्या स्थानीय अखबारों में भाजपा एवं आर.एस.एस. के कैडर कार्यरत हैं? क्या राज्य में सभी तंत्र पक्षपाती हो गए हैं?  

सिमडेगा जिला राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासी एवं ईसाई आदिवासी बहुल क्षेत्र है। लेकिन धर्म का सहारा लेकर भाजपा व संघ परिवार ने हिन्दु एवं सरना धर्म मानने वाले आदिवासियों के बीच अपना पैठ बना लिया है। फलस्वरूप, यहां के दोनों विधानसभा सीटों से भाजपा ने एक-एक बार जीत हासिल की है। इसका मूल कारण है आदिवासियों के बीच धार्मिक एवं सम्प्रदायिक फूट। पिछले चुनाव में भाजपा ने सिमडेगा सीट को कब्जा कर लिया लेकिन भाजपा विधायक के काम से उनके कैडर खुश नहीं हैं। ऐसी स्थिति बन रही है कि आगामी चुनाव में यहां भाजपा चुनाव हार जायेगी। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास अपने कैडरों को फिर से एकजुट करने का सबसे बड़ा हथियार धर्मांतरण ही है। इसलिए धर्मांतरण का फर्जी मामला बनाकर इसे हवा देते हुए भाजपा व संघ परिवार के नेता आपने घर को मजबूत करने के लिए जुट गए हैं। ये लोग स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन का भी भरपूर उपयोग कर रहे हैं।  

यहां ईसाई आदिवासियों का दबदबा होने एवं कांग्रेस पार्टी से इनकी नजदीकी के कारण बाहरी लोग भाजपा और संघ परिवार को ही अपना संरक्षक मानते हैं। इसलिए इस क्षेत्र में कार्यरत बहुसंख्यक पुलिस पदाधिकारी, न्यायपालिका से जुड़े लोग और पत्रकारों का जुड़ाव भाजपा और संघ परिवार से होना लाजिमी है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिमडेगा जिले में भाजपा व संघ परिवार के साथ पुलिस पदाधिकारी, न्यायपालिका से जुड़े लोग, सरकारी कर्मचारी, व्यापारी और पत्रकारों का एक बड़ा गंठजोड़ है, जो आदिवासी हितों के खिलाफ खड़ा है। ये लोग धर्मांतरण के मुद्दे को हवा देते रहते हैं ताकि आदिवासी समाज एकजुट न हो सके क्योंकि आदिवासियों की एकजुटता इनके लिए सबसे बड़ा खतरा है।     

निश्चित तौर पर झारखंड में भाजपा की सत्ता हिल चुकी है। सीएनटी/एसपीटी कानूनों में संशोधन करने के बाद भाजपा बैकफुट में चली गई थी। ऐसी स्थिति में आदिवासियों को धर्म के नाम पर आपस में बांटकर उनका वोट बटोरने के अलावा भाजपा के पास कोई हथियार नहीं बचा था। इसलिए भाजपा व संघ परिवार के लोग झारखंड में धर्मांतरण का खेल खेलना शुरू किया, जिसका मकसद आगामी 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतना है। भाजपा व संघ परिवार के नेता धर्मांतरण का झूठा आरोप गढ़कर लोगों को राज्य के मूल मुद्दों से भटकाकर अपने पक्ष में चुनावी हवा बहाने की फिराक में लगे हुए हैं। सिमडेगा की घटना उसी का एक उदाहरण है। लेकिन यह खेल भाजपा और संघ परिवार को महंगा भी पड़ सकता है।

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