मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

तुम बेईमान हो आर्य

- ग्लैडसन डुंगडुंग  -










तुम बेईमान हो आर्य,
तुमने हमारे दिशुम में आक्रमण कर हमें लूटा,
और बन गये सर्वश्रेष्ठ,
तुम्हारे इतिहासकारों ने भी की है बेईमानी हमारे साथ,
आजादी की पहली लड़ाई हमने तुमसे 100 साल पहले लड़ी,
अंग्रेजी के फंसी पर सबसे पहले हम झूले,
लेकिन हमारे संघर्ष को नाकारते हुए,
तुमने स्वंय को आजादी का योद्या घोषित किया,
तुम्हारे कवियो ने हमें,
असूर, सैतान, दानव और न जाने क्या-क्या बनाया,
अपनी कविताओं में,
तुम्हारे सहित्यकारो ने हमें,
बंदर, भालू और सुअर बनाया,
अपनी रचनाओं में,
और तुम्हारे लेखकों ने हमें,
जंगली, असभ्य और आदिम बनाकर रखा है,
अपनी किताबों में,
तुमने राष्ट्रहित के नाम पर हमारी,
जमीन, जंगल, पहाड़, नदी और खनिज लूटी,
और अब तुम हमारा बचाखूचा संसाधन लूटने के लिए हमें,
नक्सली, माओवादी और विकास विरोधी बताते हो,
तुम यह जानते हो आर्य,
हम आदिवासी हैं,
इस देश के असली मालिक,
लेकिन पहचान हमारी मिट्टी में मिलाने के लिए तुमने,
हमें वनवासी, गिरिजन और अनुसूचित जनजाति बनाया, 
तुम बेईमान हो आर्य,
तुम्हारी बेईमानी अब नही चलेगी। 

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